मेडिकल पीजी कोर्स की परीक्षा को एनबीई को सौंपने की तैयारी


मेडिकल पीजी कोर्स की परीक्षा को एनबीई को सौंपने की तैयारी 
एम्स को जिम्मेदारी से मुक्त किया जाएगा, प्रवेश परीक्षा होगी हाई-टेक 
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) को मेडिकल की पीजी प्रवेश परीक्षा से मुक्त करने की तैयारी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इसकी जिम्मेदारी नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन (एनबीई) को सौंपने वाला है। इस संबंध में जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया जाएगा।

नई व्यवस्था अगले साल से लागू हो जाएगी। इसमें परीक्षा हाई-टेक हो जाएगी। परचा लीक होने या नकल की संभावनाएं बेहद कम हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि 'पिछले साल एनबीई ने पूरे देश में पीजी प्रवेश के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (एनईईटी) आयोजित की थी। ९० हजार से ज्यादा छात्रों ने इसमें भाग लिया। अच्छे परिणाम सामने आए थे। इस वजह से स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऑल इंडिया पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एक्जाम (एआईपीजीएमईई) के आयोजन का जिम्मा एनबीई को सौंपने का फैसला किया है।'

क्यों बदल रही है व्यवस्था : कई दशकों से देश के सभी केंद्रीय व राज्यों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों की ५० फीसदी पीजी सीटों के लिए एम्स ही प्रवेश परीक्षा आयोजित करता रहा है। लेकिन उसकी जिम्मेदारियां बढ़ गई है। ६ नए एम्स जुड़े हैं। उनमें एमबीबीएस और पीजी परीक्षाएं भी एम्स को ही आयोजित करना है। इस वजह से पूरे देश में पीजी कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा की जिम्मेदारी से एम्स को मुक्त करने का फैसला किया है।

यह है मौजूदा व्यवस्था : देश के १६८ सरकारी मेडिकल कॉलेज में १०,००० पीजी सीटें हैं। एम्स और पीजीआई (चंडीगढ़) अपनी प्रवेश परीक्षा खुद आयोजित करते हैं। बाकी सभी मेडिकल कॉलेजों में ५०' सीटें एआईपीजीएमईई से भरी जाती हैं। 

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